युवा नेता और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष आदित्य नारायण तिवारी उर्फ कबीर की और उसके बाद भड़की हिंसा ने जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। गुरुवार को मामले की जांच करने आए एडीजी आशुतोष पांडेय और बस्ती सांसद हरीश द्विवेदी ने पूरी घटना के लिए पुलिस की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, उपद्रव के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप में एसएचओ समेत दो पुलिस अधिकारियों को एसपी ने लाइन हाजिर कर दिया और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। इसके अलावा कोतवाली पुलिस ने हत्या की वारदात के बाद हिंसा फैलाने के आरोप में उपद्रवियों के खिलाफ तीन रिपोर्ट दर्ज की है।
कबीर तिवारी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए दोनों युवक अभय और अनुराग को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपितों को 14 दिन की जूडिशल कस्टडी में जेल भेजा है। आरोपियों के पास से तीन असलहे भी बरामद हुए और पूर्व में भी इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने का दावा पुलिस ने किया है।
एडीजी आशुतोष पांडेय ने बस्ती पहुचकर घटना की पड़ताल की। एडीजी ने इसे गंभीर घटना मानते हुए कहा कि मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है। बलवे के दौरान पुलिस ने अच्छी कार्रवाई नहीं की। कबीर को गोली लगने के बाद जान बचाने के प्रयास नहीं किए गए। घायल को लखनऊ ले जाते समय पुलिस कर्मी ऐम्बुलेंस में मौजूद नहीं थे।
एडीजी ने बताया कि इसके अलावा बवाल के दौरान पुलिसकर्मियों ने बॉडी प्रोटेक्टर और हेलमेट जैसे सुरक्षा उपकरण नहीं पहने थे। 4-5 दिन पहले दोनों गुटों में हुई मारपीट में भी लापरवाही बरती गई। आईजी रेंज के नेतृत्व में जांच टीम बनाई गई है। लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, दूसरी तरफ सांसद हरीश द्विवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। सांसद ने कहा कि पुलिस ने सजगता नहीं दिखाई। मेरे फोनन के बाद एसपी मौके पर पहुचे। जिन हत्यारों को पब्लिक ने पकड़ा उसे पुलिस अपनी उपलब्धि बता रही है। डीआईजी आशुतोष कुमार ने बताया कि मामले में एआरएम रोडवेज, चौकी इंचार्ज रोडवेज़ और एक घायल इंस्पेक्टर की शिकायत पर उपद्रवियों के खिलाफ 3 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
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