आशा भोसले ने ‘सांड की आंख’ में ‘आसमान…’ नाम के गाने को अपनी आवाज दी है। फिल्म के इस गाने को विशाल मिश्रा ने कम्पोज किया है। इस गाने से एक बार फिर फैंस को आशा भोसले की आवाज सुनने का मौका मिलने वाला है।
जब आशाजी ने दादियों की प्रेरणा दायक कहानी के बारे में सुना तो भावुक हो गईं और फिल्म का गाना गाने के लिए तुरंत राजी भी हो गईं। आशाजी कहती हैं, ‘मैं फिल्म की कहानी को कभी हार ना मानने की बात से जुड़ा हुआ महसूस कर सकती हूं। मैं इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहती थी, इसलिए गाने के लिए तुरंत हां कह दिया। इस तरह की फिल्म का संगीत, जो उत्साहपूर्ण भावना का जश्न मनाता है, उसे फुल ऑफ लाइफ होना चाहिए और मैं ऐसा करने में सक्षम होना चाहती हूं।’
शार्प शूटर प्रकाशी तोमर और चंद्रो तोमर के जीवन पर आधारित फिल्म ‘सांड की आंख’ की टैगलाइन कहती है ‘तन बूढ़ा होता है, मन बूढ़ा नहीं होता’ आशा ताई इस बात को मानती हैं। पहली बार संगीतकार विशाल मिश्रा ने कहा, ‘यह दूसरा मौका था जब मैंने आशाजी के साथ कोई गाना रिकॉर्ड किया है, जब यह गाना बना रहा था तो महसूस हुआ कि इस गाने के लिए एक ममता से भरी आवाज चाहिए, तुरंत आशाजी के पास गया और उन्हें गाना सुनाया। आशाजी को गाना सुनते समय मैंने जिस हारमोनियम का इस्तेमाल किया था, वह पंचम दा का था। गाना सुनते ही आशाजी भावुक हो गईं और रिकॉर्ड करने के लिए तैयार हो गईं।’
विशाल आगे बताते हैं, ‘हमने यह गाना मुंबई में रिकॉर्ड किया, जिस दिन गाना रिकॉर्ड करना था, आशाजी की तबियत थोड़ी नासाज हो गई थी, लेकिन उन्होंने इतने बेहतरीन अंदाज में गाने को गाया कि रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं थीं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि आशाजी जैसी इतनी बड़ी हस्ती के साथ मुझे काम करने का मौका मिलेगा। इस मौके से मेरा सपना पूरा हो गया। यह साल वैसे भी मेरे करियर के लिए बेहद खास रहा है। आशाजी के साथ काम करना बड़ा अवॉर्ड पाने जैसा है। उसकी टाइमलेस आवाज वास्तव में इस गाने की जरूरत थी, उनकी आवाज के बाद गाना पूरा हो गया है।’
इस दिवाली पर रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘सांड की आंख’ भारत के सबसे बुजुर्ग शार्प शूटर दादियों की एक प्रेरणा दायक कहानी है। रिलायंस एंटरटेनमेंट और अनुराग कश्यप द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म का निर्देशन तुषार हीरानंदानी ने किया है।
Source: Bollywood Feed By RSS