प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गुप्त सम्राट का जिक्र कर कहा कि देश के इतिहास को फिर से लिखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सम्राट स्कंदगुप्त ने कश्मीर को स्वतंत्र किया और देश को भी हूणों के आक्रमण से बचाया लेकिन इतनी बड़ी घटना इतिहास में कहीं दिखी नहीं। आइए जानते हैं कि कौन थे स्कंदगुप्त और इतिहास में उनकी क्या है भूमिका…
इतिहासकार सुधांशुधर द्विवेदी कहते हैं कि गुप्त शासक स्कंद गुप्त भारतीय इतिहास का एक ऐसा शासक था जिसने हूणों की बाढ़ को भारत पहुंचने से रोक दिया था। उन्होंने कहा कि हूण पश्चिम एशिया होते हुए पारसी साम्राज्य तथा चीनी साम्राज्य को रौंदते हुए भारत की सीमा तक पहुंच गए थे। संकट की इस घड़ी में स्कंदगुप्त ने सेना की कमान संभाली और इस विदेशी हमले से देश की रक्षा की। इसी वजह से कई इतिहासकारों ने स्कंदगुप्त को ‘महानतम योद्धा’ की संज्ञा प्रदान की है।
विरोधियों को परास्त कर स्कंदगुप्त ने गद्दी संभाली
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक ‘स्कंदगुप्त’ में कहा गया है कि स्कंदगुप्त के पिता कुमारगुप्त हूणों के आक्रमण के समय आरामतलबी में व्यस्त थे। उधर, उत्तराधिकार के नियमों में अस्पष्टता की वजह से स्कंदगुप्त को चिंता में डूबे जा रहे थे। इसी बीच सम्राट कुमारगुप्त का निधन हो जाता है और 455 ईस्वी पूर्व में स्कंदगुप्त ने गद्दी संभाली। भिटारी स्तंभ पर लिखे लेख के मुताबिक विरोधियों को परास्त कर स्कंदगुप्त ने गद्दी संभाली और अपनी मां से मिलने गए।
अभिलेख के मुताबिक राजगद्दी हासिल करने के लिए स्कंदगुप्त को कई रातें जमीन पर गुजारनी पड़ीं। इतिहासकार आरसी मजूमदार ने हूणों के आक्रमण से देश की रक्षा के लिए स्कंदगुप्त को ‘भारत के रक्षक’ की उपाधि दी है। सुधांसुधर द्विवेदी ने बताया कि हूण आंक्राता बेहद बर्बर माने जाते थे और उन्होंने सिकंदर के देश यूनान, महान रोमन साम्राज्य और मिस्र की सभ्यता को नष्ट कर दिया था। ये विदेशी हमलावर ईरान और चीनी सभ्यता को बर्बाद करते हुए भारत की सीमा तक पहुंच गए थे।
‘युद्ध के दौरान धरती हिल सी गई’
हूणों ने कंबोज को जीतकर गांधार में प्रवेश करना शुरू किया। हूणों को रोकने के लिए स्कंदगुप्त ने कमान संभाली। दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ। भिटारी अभिलेख में कहा गया है कि युद्ध के दौरान धरती ‘हिल सी गई।’ इस युद्ध के दौरान स्कंदगुप्त के सेनापति भटार्क ने धोखा कर दिया और गुप्त सेना को पीछे हटना पड़ा। बाद में स्कंदगुप्त ने एक बार फिर से गुप्त सेना को एकजुट किया और सिंधु नदी के समीप एक बार फिर से हूणों का बहादुरी से सामना किया। इस बार हूणों को पराजित होना पड़ा। स्कंदगुप्त ने करीब 12 साल तक शासन किया। उसने गुजरात में स्थित सुदर्शन झील की मरम्मत कराई थी।
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