महाराष्ट्र में रातोंरात राजनीति ने करवट ले ली और सुबह-सुबह बीजेपी नेता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें सीएम जबकि एनसीपी नेता को डेप्युटी सीएम पद की शपथ दिलाई। इससे पहले, शुक्रवार को एनसीपी अध्यक्ष ने खुद ऐलान किया था कि एनसीपी और कांग्रेस पार्टी ने शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर सहमति दे दी है। आज तीनों दलों के बीच सरकार गठन को लेकर बाकी मुद्दों पर चर्चा होनी थी, तभी सारा खेल पलट गया और फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए। आइए जानते हैं 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद से आज तक एक महीने में क्या-क्या हुआ…
1.
27 सितंबर को चुनाव अधिसूचना, 21 अक्टूबर को मतदान
चुनाव आयोग ने 27 सितंबर को 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की और 4 अक्टूबर को नॉमिनेशन फाइल करने की आखिरी तय की। 5 अक्टूबर को नामांकन पत्र की छंटनी के बाद 7 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की आखिरी समयसीमा तय थी। इस सारी प्रक्रिया के बाद 21 अक्टूबर को पूरे राज्य में एक साथ मतदान हुआ।
2. एनडीए और यूपीए ने ऐसे किया सीट बंटवारा
राज्य में एनडीए गठबंधन के तहत बीजेपी और शिवसेना ने साथ-साथ चुनाव लड़ा। गठबंधन के मुताबिक, बीजेपी ने 152 सीटों पर जबकि शिव सेना ने 124 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारे। शेष 12 सीटों पर एनडीए में शामिल अन्य दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार दिए। उधर, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने मिलकर यूपीए की छतरी तले चुनाव लड़ा। गठबंधन के तहत कांग्रेस ने 147 जबकि एनसीपी 121 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारे। बाकी की 20 सीटों पर यूपीए के दूसरे दलों ने अपने-अपने कैंडिडेट्स दिए थे।
3. 24 अक्टूबर को इलेक्शन रिजल्ट
24 नवंबर को जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। शिवसेना के खाते में 56 सीटें आईं और वह राज्य में दूसरा सबसे बड़ा दल बनकर सामने आया। इस तरह एनडीए के खाते में कुल 161 सीटें आ गईं जबकि सरकार बनाने के लिए बहुमत का आकंड़ा 145 का ही है।
उधर, यूपीए के खाते में 98 सीटें आईं। दरअसल, एनसीपी ने 54 सीटें लाकर सारे राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया। शरद पवार की राजनीति कमजोर होने की भविष्यवाणी गलत साबित हुई और उनकी पार्टी एनसीपी महाराष्ट्री की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जबकि कांग्रेस 44 सीटें पाकर राज्य का चौथा सबसे बड़ा दल बना।
4. एनडीए को स्पष्ट जनादेश, शिवसेना ने फंसाया पेच
24 अक्टूबर के चुनाव परिणाम में बीजेपी-शिवसेना के एनडीए को सरकार बनाने का स्पष्ट जनादेश मिल गया, लेकिन शिवसेना ने सरकार गठन में यह कहकर पेंच फंसा दिया कि मुख्यमंत्री उसके दल का होना चाहिए। शिवसेना ने कहा कि चुनाव के वक्त गठबंधन के तहत बीजेपी ने सीएम पद के लिए 50-50 के फॉर्म्युले का वादा किया था और उसे यह वादा अब पूरा करना चाहिए क्योंकि 2014 से 2019 के पहले पांच साल के पूरे कार्यकाल में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री रहे, शिवसेना ने इसे पूरे मन से स्वीकार किया।
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5. मान-मव्वल की कोशिशें असफल
इस दावेदारी के बाद बीजेपी-शिवसेना में बैठकों का दौर शुरू हुआ। मान-मनव्वल की कोशिशें हुईं। कहा गया कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री आकर मतभेदों को दूर करेंगे। हालांकि, शाह मातोश्री नहीं पहुंचे और शिवसेना अपनी मांग पर टिकी रही।
6. शिवसेना का एनसीपी की ओर रुख
इधर, शिवसेना ने बीजेपी की राह देखना बंद कर एनसीपी का रुख कर लिया। शिवसेना नेता संजय राउत ने 3 नवंबर को उन्होंने दावा किया कि शिवसेना के पास कुल 175 विधायकों का समर्थन है और वह अपने दम पर अकेले सरकार बना सकती है। राउत चुनाव नतीजे आने के बाद दो बार एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात कर चुके थे।
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7. फडणवीस का सीएम पद से इस्तीफा
सीएम पद की मांग पर शिवसेना के टस से मस नहीं होते देख सीएम देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले 8 नवंबर को अपना इस्तीफा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद फडणवीस ने शिवसेना पर जमकर हमला बोला। शिवेसना के ’50-50′ फॉर्म्युले के तह ढाई-ढाई साल के लिए दोनों दलों के सीएम की मांग को गलत बताते हुए फडणवीस ने कहा कि इसपर कभी कोई फैसला नहीं हुआ था।
8. टूटी ‘मातोश्री’ की परंपरा
शिवसेना ने अपना मुख्यमंत्री बनवाने के लिए लंबी परंपरा भी तोड़ दी। पहली बार शिवसेना अध्यक्ष मातोश्री से बाहर महाराष्ट्र की सियासत पर बातचीत के लिए मिले। बांद्रा के ताज लैंड होटल में पवार और उद्धव के बीच करीब एक घंटे बैठक चली। 11 नवंबर को उद्धव ने मालाड के द रिट्रीट होटल में ठहरे अपने विधायकों से मुलाकात भी की। इस दौरान उद्धव के साथ पत्नी रश्मि ठाकरे भी मौजूद थीं। उद्धव ने विधायकों के साथ बैठक में उन्हें धैर्य रखने की सलाह दी।
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9. एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता
गवर्नर ने तीसरे सबसे बड़े दल एनसीपी को राज्य में सरकार बनाने का मौका दिया। 12 नवंबर को शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत जारी रही। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का निवास स्थान मातोश्री इसका केंद्र बना रहा।
10. राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा
एनसीपी को सरकार का दावा करने की समयसीमा 12 नवंबर तक रात 8:30 बजे समाप्त हो गई। हालांकि एनसीपी ने समयसीमा खत्म होने तक कोई दावा नहीं किया। फिर राज्यपाल ने राज्य में संविधान की धारा 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा कर दी। इसके साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा निलंबित हो गई।
11. शिवसेना-एनसीपी की बातचीत जारी
हालांकि, राष्ट्रपति शासन के बाद भी शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत जारी रही। चूंकि दोनों दलों को मिलाकर कुल 110 विधायक ही हो रहे थे, इसलिए कांग्रेस के भी 44 विधायकों की सख्त दरकार थी। वैसे भी एनसीपी ने कहा कि उसने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, इसलिए कांग्रेस की सहमति के बिना शिवसेना के साथ सरकार बनाने की बात आगे नहीं बढ़ सकती।
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12. शिवसेना के साथ जाने पर CWC में मुहर
उधर, कांग्रेस पार्टी में इस बात को लेकर उठापटक चलने लगी कि वैचारिक विरोधी शिवसेना के साथ सरकार बनाई जाए या नहीं। मल्लिकार्जुन खड़गे, पृथ्वीराज चौहान समेत कई नेताओं ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने का समर्थन किया तो संजय निरुपम जैसे कुछ नेताओं ने कहा कि ऐसा करना कांग्रेस की भारी भूल होगी। आखिरकार, 21 नवंबर को खबर आई कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी में शिवसेना के साथ सरकार बनाने का फैसला हो गया।
13. शरद पवार की पीएम मोदी से मुलाकात
इससे पहले, 20 नवंबर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। कहा गया कि पवार ने पीएम से महाराष्ट्र के किसानों के संकट पर बात की। हालांकि, तब अटकलें लगने लगी थीं कि महाराषट्र को लेकर कुछ नया समीकरण बन सकता है।
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14. उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने का ऐलान
22 नवंबर को शरद पवार ने घोषणा की कि एनसीपी और कांग्रेस ने महाराष्ट्र के नए मुख्यंत्री के रूप में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर समहित दे दी है। अब अगले दिन शनिवार को बाकी मुद्दों पर बातचीत होगी और फिर जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा।
15. देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने ली शपथ
23 नवंबर को सुबह-सुबह आश्चर्यजनक रूप से राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की जबकि एनसीपी नेता अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि इस सरकार को एनसीपी का समर्थन नहीं है। उन्होंने कहा कि अजीत पवार ने बिना उनके संज्ञान के बीजेपी का साथ दिया।
Source: National