भारत के पहले टेस्ट विकेटकीपर
जनार्दन का जन्म एक किसान परिवार में महाराष्ट्र के फूलगांव में 7 दिसंबर 1902 को हुआ था। उन्होंने 30 साल की उम्र में अपना पहला टेस्ट मैच खेला। वह भारत के पहले टेस्ट विकेटकीपर बने। उन्होंने ही टेस्ट इतिहास में भारत के लिए पहली गेंद का सामना किया। उन्होंने करियर में 65 फर्स्ट क्लास मैच भी खेले। उनकी तारीफ में विजडन मैगजीन ने लिखा था, ‘पहले दर्जे के विकेटकीपर, जो भी करते हैं उसमें बेहद फुर्तीले।’
देखें,
25 जून 1932 को खेला पहला टेस्ट25 जून 1932 को शुरू हुआ टेस्ट मैच भारतीय क्रिकेट का पहला टेस्ट मैच था। सीके नायडू टीम की कप्तानी संभाल रहे थे और पहले दिन ही इंग्लैंड की पहली पारी 259 रन पर सिनट गई। विकेटकीपर बल्लेबाज ने टीम इंडिया के लिए पहली गेंद का सामना किया। हालांकि उन्होंने केवल 12 रन बनाए। दूसरी पारी में जनार्दन ने 13 रन बनाए।
158 रन से भारत को मिली हारभारतीय टीम 189 रन पर ढेर हो गई। इसके बाद इंग्लैंड टीम ने दूसरी पारी 8 विकेट पर 275 रन बनाकर घोषित कर दी। 346 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 187 रन पर दूसरी पारी में सिमट गई और उसे 158 रन से मैच में शिकस्त झेलनी पड़ी।
उम्र ज्यादा होने के कारण नहीं मिला मौकाजनार्दन ने करियर में केवल 2 ही टेस्ट मैच खेले और 4 पारियों में वह केवल 42 रन बना सके। उन्होंने 65 फर्स्ट क्लास मैचों मे कुल 1976 रन बनाए। कहा जाता है कि उन्हें भारतीय टीम के लिए ज्यादा मौके इसलिए नहीं मिले क्योंकि वह 31 साल के हो चुके थे।
पढ़ें,
पैसे की तंगी, भीख मांगते भी दिखेकुछ लोगों का कहना है कि आखिरी दिनों में उनके पास पैसे की तंगी थी। इसी के चलते उन्होंने एक चीनी मिल में सिक्योरिटी अफसर की नौकरी कर ली। बाद में वह पुणे में 2 कमरे के एक अपार्टमेंट में रहने लगे और अपने 77वें जन्मदिन से ठीक 3 महीने पहले 7 सितंबर 1979 को उनका निधन हो गया। कुछ लोगों का कहना है कि क्रिकेट और नौकरी से ज्यादा पैसा नहीं कमाने के कारण उनका आर्थिक पक्ष कमजोर ही रहा और वृद्धावस्था के दिनों में पुणे-मुंबई हाईवे पर उन्हें भीख मांगते भी देखा गया।
Source: Sports