नागपुर : मोहन भागवत ने एक बार फिर हिंदुत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि यह हमारी राष्ट्रीय पहचान है। यह किसी देवी देवता, किसी पूजा परपंरा और खान पान से संबंधित नहीं है। मोहन भागवत ने कहा कि गुरुनानक ने भी हिंदुस्थान की बात कही है। देश में अगर संविधान के आधार पर भावनात्मक एकता लानी है तो हिंदुत्व को युगानुकूल रूप में खड़ा करना होगा ताकि लोग इसका व्यवहार करें।
विजयदशमी से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) प्रमुख ने अपने संबोधन से पहले महात्मा गांधी और नानक की सीख का जिक्र करते हुए भारतीय सेना को और मजबूत बनाने की बात कही। मोहन भागवत ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग से आने वाले समाज के वंचित समूह, प्रताड़ित लोगों को मजबूत करने की जरूत है। उन्होंने अर्बन नक्सल की अवधारणा का भी जिक्र करते हुए कहा कि देश में चले छोटे आंदोलनों में भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वाले भी दिखे। इस पर चिंता जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर इनका प्रचार चल रहा है और उसका कंटेंट पाकिस्तान, इटली, अमेरिका से आ रहा है। भागवत ने बिना नाम लिए एससी-एसटटी ऐक्ट पर पैदा हुए हालिया गतिरोध का भी जिक्र किया। उन्होंने एक तरह से मोदी सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि समाज में फैल रहे असंतोष का हल करना होगा, दबे लोगों को उनका हक देना होगा। भागवत ने सबरीमाला का जिक्र करते हुए कहा कि इस बारे में फैसला आने से पहले इससे प्रभावित लोगों को विश्वास में लिया जाना चाहिए था।