बिहार : प्रधानमंत्री ने “नमामि गंगे” और “अमृत योजना” से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया

नई दिल्ली/ पटना : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज बिहार में “नमामि गंगे” और “अमृत योजना” से जुड़ी चार विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें पटना सिटी के बेउर और करम-लीचक में जलमल शोधन संयंत्र के साथ ही अमृत योजना के तहत सिवान और छपरा में जलापूर्ति से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने मुंगेर और जमालपुर में जलापूर्ति योजनाओं और मुजफ्फरपुर में नमामि गंगे योजना के तहत रिवर फ्रंट विकास परियोजना की आधारशिला भी रखी।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के समय में भी, बिहार में विभिन्न विकास परियोजनाओं का काम बिना किसी रुकावट के होता रहा है।

उन्होंने राज्य में हाल के दिनों में शुरू की गई करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अवसंरचना विकास के साथ ही बिहार के किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होंगी।

प्रधानमंत्री ने देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सिविल इंजीनियर सर एम विश्वेश्वरैया की याद में आज मनाए जा रहे अभियंता दिवस के अवसर पर देश के विकास में अभियंताओं के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि बिहार ने देश को लाखों अभियंता देकर राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मोदी ने कहा कि बिहार ऐतिहासिक शहरों और हजारों वर्षों के समृद्ध इतिहास वाली भूमि है। आजादी के बाद से बिहार का नेतृव भविष्य की सोच रखने वाले ऐसे राजनेता करते आए जिन्होंने दासत्व काल से चली आर रही कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किए। इसके बाद बदलती प्राथमिकताओं के साथ विकास ने एक ऐसा चेहरा ले लिया जिसके परिणामस्वरूप राज्य में शहरी बुनियादी ढांचे का क्षरण हुआ और ग्रामीण बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब स्वार्थ शासन से बढ़कर हो जाता है और वोट बैंक की राजनीति का सिक्का चलने लगता है तब पहले से ही हाशिए पर खड़ा वंचित तबका सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने दशकों से इस दर्द को सहन किया है जब उनकी पानी और सीवरेज जैसी बुनियादी जरुरतें भी पूरी नहीं की जा सकीं ।लोग मजबूरी में गंदा पानी पीकर बीमारियों को आमंत्रित करते रहे और उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इलाज पर खर्च होता रहा। इन परिस्थितियों में बिहार में एक बहुत बड़े वर्ग ने कर्ज, बीमारी, अशिक्षा और असहाय होकर जीने को अपने भाग्य समझकर स्वीकार कर लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से व्यवस्था को बदलने और समाज के सबसे प्रभावित वर्ग में विश्वास वापस पैदा करने के प्रयास जारी हैं। जिस तरह से बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है और पंचायती राज सहित स्थानीय निकायों में वंचितों की भागीदारी बढ़ रही है उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है। वर्ष 2014 के बाद से, बुनियादी सुविधाओं से संबंधित योजनाओं का लगभग पूरा नियंत्रण ग्राम पंचायतों या स्थानीय निकायों के हाथों में सौंप दिया गया है। अब, नियोजन से लेकर कार्यान्वयन और योजनाओं की देख रेख तक की सारी जरुरतें स्थानीय निकाय पूरा करने में सक्षम हो चुके हैं और यही कारण है कि बिहार के शहरों में पीने के पानी और सीवर जैसी बुनियादी सुविधाओं में निरंतर सुधार हो रहा है।

मोदी ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों में बिहार के शहरी क्षेत्रों में अमृत योजना के तहत लाखों परिवारों को पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। आने वाले वर्षों में, बिहार देश के उन राज्यों में से होगा जहां हर घर में पाइप से जलापूर्ति हो रही होगी। उन्होंने कहा कि इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए बिहार के लोगों ने कोरोना के संकट में भी लगातार काम किया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को मिले काम ने राज्य के ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ महीनों में 57 लाख से अधिक परिवारों को पानी के कनेक्शन प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन बिहार के इन मेहनती लोगों को ही समर्पित है। पिछले एक साल में जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में दो करोड़ से अधिक पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। आज, एक लाख से अधिक घरों को हर दिन पानी के नए कनेक्शन के लिए पाइप से जोड़ा जा रहा है। स्वच्छ जल न केवल गरीबों के जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि उन्हें कई गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में भी अमृत येाजना के तहत 12 लाख परिवारों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है इसमें से लगभग 6 लाख परिवारों को कनेक्शन दिए जा चुके हैं।

मोदी ने कहा कि शहरी बस्तियां तेजी से बढ़ रही है और शहरीकरण आज एक वास्तविकता बन गया है लेकिन कई दशकों से शहरीकरण को एक समस्या माना जाता रहा। शहरीकरण के समर्थक बाबा साहेब अंबेडकर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने शहरीकरण को कभी समस्या नहीं माना बल्कि उन्होंने ऐसे शहरों की कल्पना की थी, जहां गरीब से गरीब लोगों को भी बेहतर जीवन जीने के का पूरा मौका मिल सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि शहर ऐसे होने चाहिए जहां हर कोई विशेष रुप से युवाओं को आगे बढ़ने के लिए नए और असीम अवसर मिल सकें, जहां हर परिवार समृद्धि और खुशी के साथ जीवन जी सके और जहां गरीबों, दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को सम्मानजनक जीवन मिल पाए।

प्रधानमंत्री ने कहा, हम आज देश में एक शहरीकरण का नया रूप देख रहे हैं और शहर भी आज अपनी पहचान महसूस करा रहे हैं। कुछ साल पहले तक शहरीकरण का मतलब कुछ चुनिंदा शहरों में कुछ क्षेत्रों का विकास करना था लेकिन अब यह सोच बदल रही है। बिहार के लोग भारत के इस नए शहरीकरण की प्रक्रिया में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर बिहार और आत्मनिर्भर भारत की अभियान के तहत राज्य के शहरों को उनकी वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य की जरुरतों के हिसाब से भी तैयार करना बहुत जरूरी है। इस सोच के साथ ही अमृत योजना के तहत बिहार के कई शहरों में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जा रहा है।

मोदी ने कहा कि बिहार में 100 से अधिक नगर निकायों में 4.5 लाख से अधिक एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। इसके कारण, छोटे शहरों की सड़कों और गलियों में रोशनी की व्यवस्था बेहतर हो रही है। सैकड़ों करोड़ों रुपए की बिजली की बचत हो रही है और लोगों का जीवन आसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 20 बड़े और महत्वपूर्ण शहर गंगा नदी के तट पर स्थित हैं। गंगा नदी की सफाई, गंगा के पानी की सफाई का इन शहरों में रहने वाले करोड़ों लोगों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा नदी की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए बिहार में 6000 करोड़ रुपये से अधिक की 50 से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। सरकार गंगा के किनारे बसे सभी शहरों में गंदे नालों के पानी को सीधे नदी में गिरने से रोकने के लिए कई जलशोधन संयंत्र लगाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि आज पटना में जिस बेउर और करम-लिचक योजना का उद्घाटन किया गया है उससे क्षेत्र के लाखों लोगों को लाभ होगा। इसके साथ ही गंगा के किनारे के गाँवों को भी ‘गंगा ग्राम’ के रूप में विकसित किया जा रहा है।