नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोट स्थित सतीश धवन सेंटर से गुरुवार रात 11 बजकर 37 मिनट पर दुनिया के सबसे हल्के सैटेलाइट कलामसैट-2 की कामयाब लॉन्चिंग की। इसका वजन करीब 1.26 किलो है, जो एक लकड़ी की कुर्सी से भी कल्का है। स्पेस किड्स नाम की निजी संस्था के छात्रों ने इसे महज 12 लाख रुपए में छह दिन के अंदर बनाया। हालांकि, इसके पीछे छात्रों और प्रोफेसर्स की छह साल से ज्यादा की मेहनत है।
इसरो ने इसके साथ ही 740 किलोग्राम वजनी माइक्रोसैट-आर सैटेलाइट भी लॉन्च किया। यह सेना के लिए मददगार होगा। इसरो ने दोनों उपग्र पीएसएलवी सी-44 रॉकेट की मदद से कक्षा में भेजे। अंतरिक्ष एजेंसी ने कलामसैट की लॉन्चिंग मुफ्त में की है।
कलामसैट सैटेलाइट को भारतीय छात्रों के एक समूह ने तैयार किया है. इसका नामकरण देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है. कलामसैट दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट है.
स्पेस की दुनिया में नए कारनामे करने के लिए मशहूर इसरो ने हर सैटेलाइट लॉन्चिंग मिशन में PS-4 प्लेटफॉर्म को छात्रों के बनाए सैटेलाइट के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया है. कलामसैट इतना छोटा है कि इसे ‘फेम्टो’ की श्रेणी में रखा गया है.