नई दिल्ली-31 अगस्त को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (नेशनल सिटिजन रजिस्टर) का प्रकाशन होगा। अंतिम एनआरसी का प्रकाशन 31 अगस्त को होते ही यह तय हो जाएगा कि पिछले साल के मसौदे से बाहर हुए 40 लाख लोगों में से कितने इस एनआरसी लिस्ट में जगह बना पाते हैं और कितने नहीं। गौरतलब है कि 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित मसौदे में 2.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। इसके लिए कुल 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। मसौदे में 40 लाख लोगों को छोड़ दिया गया था। असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अद्यतन की जा रही है और अंतिम सूची 31 अगस्त को जारी होनी है।
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम रूप से प्रकाशन की तिथि करीब आने के साथ ही सभी बड़े हितधारकों ने सूची के ”स्वतंत्र एवं निष्पक्ष” होने पर संशय जाहिर किया है। अंतिम एनआरसी का प्रकाशन 31 अगस्त को किया जाएगा। एएएसयू को छोड़ कर भाजपा, कांग्रेस और एआईयूडीएफ समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंका जाहिर की है कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम छूट सकते हैं जबकि अवैध विदेशियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं।
असम में प्रशासन ने भी सुरक्षा बढ़ा दी है और राज्य की राजधानी गुवाहाटी के कुछ हिस्सों सहित हिंसा के लिए संवेदनशील माने जाने वाले कुछ इलाकों में बड़ी सभाओं और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं।
इधर मूल याचिकाकर्ता – असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू)- ने भी जताया है जिसकी उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपनी निगरानी में एनआरसी को अद्यतन करने का निर्देश दिया। एनजीओ एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने बृहस्पतिवार को पीटीआई-भाषा को बताया, “एनआरसी मामले के मूल याचिकाकर्ताओं के तौर पर हम इस प्रक्रिया से खुश नहीं हैं। हमने उच्चतम न्यायालय से 100 प्रतिशत पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई।”उन्होंने कहा कि यह अपूर्ण एनआरसी होने जा रही है और, “हमें डर है कि कई अवैध विदेशियों के नाम उसमें होंगे जबकि असल भारतीय नागरिकों को छोड़ दिया जाएगा।”
शर्मा ने कहा, “अगर एनआरसी के बाद अवैध विदेशियों के नाम सूची में हुए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। एनआरसी राज्य समन्वयक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।”उन्होंने कहा कि एनआरसी से संबंधित दो मामले अब भी उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष लंबित हैं और, “हम इन मामलों का अंतिम एनआरसी के प्रकाशन से पहले निपटान चाहते हैं। हमने लगभग 35 सालों तक इंतजार किया है तो विदेशी नागरिक मुक्त एनआरसी के लिए दो या तीन महीनों का इंतजार क्यों नहीं।”सत्तारूढ़ भाजपा ने भी हाल में भी चिंता जाहिर की थी कि अवैध विदेशी नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल हो सकते हैं और राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला पर “महज दो या तीन संगठनों से विचार-विमर्श कर एकपक्षीय तरीके से काम करने” का आरोप भी लगाया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास ने कहा, “ऐसी स्थिति में, त्रुटि मुक्त एनआरसी संदेहपूर्ण है। ऐसा लगता है कि हमें ऐसी एनआरसी मिलेगी जिसमें असल भारतीय नागरिकों की बजाए अवैध विदेशियों के नाम शामिल हो सकते हैं। असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी चिंता जताई है कि अंतिम एनआरसी “स्वतंत्र एवं निष्पक्ष नहीं होगी और मैं यह एनआरसी प्रकाशन के मसौदे के अपने पूर्व अनुभवों से कह रहा हूं जहां असल भारतीय नागरिकों के नाम छोड़ दिए गए थे।” राज्यसभा सदस्य ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जिन्हें बाहर किया गया है उनमें सेना एवं बीएसएफ कर्मियों, स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार, साहित्य अकादमी विजेता, चाय की खेती करने वाले आदिवासी और कई अन्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि “हमें लगता है कि यह सरकार प्रेरित है और कुछ अधिकारियों पर किसी खास धर्म के लोगों के नाम हटाने का दबाव बनाया जा रहा है।”