लोकनायक की 117वीं जयंती पर यूपी में बाढ़ और भयंकर का असर दिखा तो बिहार में सरकार नमन करने में पीछे नहीं रही। बलिया में जयंती बाहरी कोई भी सियासी दिग्गज याद करने नहीं पहुंच सका। जिले के जनप्रतिनिधियों, समाजिक संगठन के लोग और जेपी के विचारों से प्रेरित सामाजिक चिन्तकों ने माल्यार्पण कर नमन किया। बलिया से सटे बिहार के लाला टोला में जयंती शिददत से मनाई गई। यहां पर जयप्रकाश को नमन करने के लिए सरकारी नुमाइंदों के साथ जनप्रतिनिधि तथा शिक्षाविद्धों की कतार लगी रही।
शुक्रवार को बलिया में जेपी जयंती के अवसर पर आचार्य नरेन्द्र देव बाल विद्या मन्दिर के बच्चे प्रभात फेरी निकाले। जय प्रकाश अमर रहे, भारत माता की जय आदि गगन भेदी नारो के गांव भ्रमण कर 11 बजे जेपी स्मारक प्रतिष्ठान पर पहुंचे। इसके बाद माल्यापर्ण का क्रम शुरू हुआ। सबसे पहले जेपी के परिजनों ने माल्यापर्ण किया। जेपी के प्रपौत्र डॉक्टर कौशिक सिन्हा और उनके परिजन ने माल्यार्पण कर जेपी को नमन किया। उसके बाद राज्यसभा सांसद नीरज शेखर, एमएलसी रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू,विधायक सुरेन्द्र नाथ सिंह, नागेन्द्र पाण्डेय, बीजेपी जिलाध्यक्ष विनोद शंकर दूबे सहित अन्य नेताओं ने माल्यार्पण किया।
बिहार सरकार की जेपी जयंती पर नमन कार्यक्रम
बलिया के सिताब दियारा क्षेत्र मे विगत कई सालो से जेपी जयन्ती मनाई जाने लगी है। यूपी के जिम्मे जय प्रकाश नगर है तो बिहार वाले हिस्से मे लाला टोला दोनों स्थानों मे अन्तर यह कि छपरा के डीएम और एसपी संग दर्जन भर उच्चाधिकारी अपनी सीमा के स्मारक पर प्रति वर्ष जेपी को नमन करने पहुंचते हैं, जबकि बलिया के किसी अधिकारी के लिए जेपी खास नहीं है।
बलिया के वरिष्ठ अधिकारी जयप्रकाश नगर मे तब पांव रखते है जब किसी वीआइपी का कार्यक्रम होता है। जेपी को नमन करने के मे बलिया के अधिकारियों की निष्ठा किसी वर्ष नहीं रही है। बिहार स्थित लाला टोला जेपी स्मारक पर जब से स्मारक बना तब से आज तक कार्यक्रम सरकारी स्तर पर घोषित है। इस क्रम शुक्रवार को बिहार वाले हिस्से में महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, सांसद बलिया विरेन्द्र सिंह मस्त, डीएम सारण सुब्रत सेन, एसपी सारण हरि किशोर, जेपी यूनिर्वसिटी के कुलपति हरिकेश सिंह आदि ने जेपी को नमन किया।
जयंती पर भी नहीं सुधरी सड़क
प्रत्येक वर्ष जेपी जयन्ती के पूर्व बीएसटी बाध वाली सड़क मरम्मत कार्यक्रम से पूर्व हो जाती थी लेकिन इस वर्ष सड़क को ठीक नही किया गया, जिसका मलाल जेपी के गांव मे दिखा। लोग यह चर्चा करते पाए गए कि चन्द्रशेखर जी होते तो सब ठीक होता मात्र 9 किलोमीटर लंबी यह सड़क चौड़ीकरण तथा मरम्मत के आस में बूढ़ी हो चली है। यूपी और बिहार में दोनो तरफ जेपी का स्मारक होने के बाद भी यह सड़क बीचो बीच होने के बाद से ही खस्ताहाली की शिकार है।
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